ज़रा सोचिए
आरे के जंगलों में
जानवर भी रहते हैं
क्या वो मेट्रो चाहते हैं ?
सालों पुराने पेड़ वे
क्यों आप जागीर समझ
काटना चाहते हैं?
मनुष्य उजाड़ देते हैं
घर उन प्राणियों के
छोड़ा जिनको निर्भर
प्रकृति ने आदमी के।
घर थी न धरती हमारी भी तुम्हारी भी
माँ ने तुमको बढ़ाया होनहार बेटा बनाया
बोझ सहे हम चिड़ियाघर में रहे हम
बदले में हिस्से का जंगल हमारा काट खाया
#Deforestation #protest #Aarey
The most intelligent children of mother earth are themselves killing her.
बहुत दर्द है लेखनी में। सच मूक और कमजोर का कोई जहाँ नही।
कितना हासस्यास्पद और दुखद है जो उन्मुक्त रहता था आज उसका भी घर है जिसे चिड़िया घर कहते हैं। अगर ऐसा ही घर कोई हम इंसानों का बना दे उसे हम क्या कहेंगे?
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“आदमकैद” कहेंगे
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