मीठी सौंफ का फूलना

प्रकृति में वनस्पतियों में पाया जाने वाला अरेंजमेंट इनफ्लोरेसेन्स(पुष्पक्रम) कहलाता है। कल नेशनल पार्क में वारली आदिवासी ये सुंदर सी खाने योग्य वनस्पति बेच रहे थे तब मुझे इसकी सुंदर बनावट ने अकर्षित किया। हम सफारी की टिकट वाली लाइन में लगे थे वहाँ एक बच्चा खा भी रहा था, मैंने उसकी माँ से पूछा इसे क्या कहते हैं, वो बोलीं, ” मीठी सोंफ आहे” , तो पता चला काफी आम चीज़ है ये तो, सौंफ है ये तो। हमने तुरन्त हरी हरी मीठी सौंफ का एक गुच्छ खरीदा।

ये, यूँ तो सब्ज़ियों की दुकान पर आम तौर पर मिलती है पर मेरा ध्यान आज तक नहीं गया था। वारली आदिवासीे इसे बाहर से ही खरीद कर अंदर ले जाते हैं, आजीविका के साधन के तौर पर अन्य खाने योग्य वनस्पतियों और फलों के साथ बेचते हैं।

इसका प्रकृतिक पैटर्न इतना सुंदर है कि काफी देर हाथ में रख कर स्टडी करने पर याद आया रासेमोज़ और साइमोज़ का पुष्पक्रम, जो बच्चे कक्षा नौ में पढ़ते हैं। यह वनस्पति विज्ञान में पढ़ाये जाने वाले इनफ्लोरेसेन्स यानी पुष्पक्रम के प्रकार हैं।

थोड़ा अध्ययन करने पर fennel seeds यानी मीठी सौंफ के placentation (पौधों में बीज की सजावट या वैज्ञानिक भाषा में पादपों में बीजाण्डन्यास ) के बारे में पता चला ।

मीठी सौंफ का प्लासेंटशन(बीजाण्डन्यास) उसे umbel अथवा compound umbel नाम का इनफ्लोरेसेन्स(पुष्पक्रम) प्रदान करता है। शायद यह अंग्रेज़ी के umbrella शब्द से आया होगा।

बच्चों को दिए जाने वाले घिसे पिटे किताबी उदाहरण से अच्छा एक जीवंत उदाहण रहा मीठी सौंफ का अम्बेल पुष्पक्रम।

घूमना, नया देखना , किसी नई बात को जानना परम आवश्यक है, हम न्यूरॉन्स से जितना काम लेते हैं वे उतने दिनों तक हमारे साथ रहते हैं। बहुत साधारण सी दिखने वाली प्राकृतिक वस्तुओं के पीछे गहरा विज्ञान है। कोई मनुष्य दिमाग से कला, विज्ञान और गणित में विभाजित नहीं होता । हम सबकुछ सीख पढ़ सकते अपनी रूचि और स्वन्त्रता के हिसाब से। स्वतंत्रता अनिवार्य है। मस्तिष्क की स्वतन्त्रता अनिर्वाय है।

प्रज्ञा

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