अभिनंदन अनुपम अनंत
अपने आदि अपने सँ अंत
टक टक ताकि रहल जन जन
भाद्र शुक्ल चतुर्दशी पर्यंत।
-मणिकांत झा, दरभंगा,१९-९-२१

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी व्रत मनाया जाता है। इस बार यह 19 सितंबर को है। अनंत यानी जिसके न आदि का पता है और न ही अंत का। अर्थात वे स्वयं श्री हरि ही हैं। इस व्रत में स्नानादि करने के बाद अक्षत, दूर्वा, शुद्ध रेशम या कपास के सूत से बने और हल्दी से रंगे हुए चौदह गांठ के अनंत को सामने रखकर हवन किया जाता है। फिर अनंत देव का ध्यान करके इस शुद्ध अनंत, जिसकी पूजा की गई होती है, को पुरुष दाहिनी और स्त्री बायीं भुजा या हाथ में बांधते हैं।

Anant Chaturdashi

अनंत भगवानक आरती

आरती श्री अनंत देवता के
चौदह गेंठक एहि सूता के।

भादव शुक्ल इजोरिया एलय
चतुर्दशी तिथि पावन भेलय
सब ओरियान पूजन कथा के
आरती श्री अनंत देवता के।

व्रत उपवास सब जन करथि
क्षीर सागर मे खीरा महथि
पुरबै छथि ई सब खगता के
आरती श्री अनंत देवता के।

सकल मनोरथ पूर्ण करय छथि
खाली झोड़ी छनहि भरय छथि
मणिकांत मिटबी मम जड़ता के
आरती श्री अनंत देवता के।

-मणिकांत झा, दरभंगा,१९-९-२१

मैथिली दोहा
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