हिमा मनियालिल का ओणम
मेरी फेसबुक वॉल पर हिमा जी की ओणम शुभकामना संदेश पर मेरा आग्रह था कि वे ओणम पर अपना अनुभव साझा करें, जैसा उन्होंने मुझे लिखा, वह मैं आपके पढ़ने के लिए यहाँ साझा कर रही हूँ। हिमा जी की भावनात्मक और भाषागत स्प्रेषणीयता शानदार है, वे हिंदी साहित्य के क्षेत्र से हैं केरल से हैं, वे ठीक ठीक जैसा महसूस कर रही हैं हम तक पहुँचा पा रही हैं। क्रमशः जो जानकारी और अन्य मित्रों से बात चीत में आज का हासिल है वह अन्य कड़ियों में पब्लिश कर दूँगी।
मेरे लिए ओणम का कोई लंबा इतिहास नहीं हैं।दस दिनों की स्कूल की छुट्टी और घर मे उत्सव!
हम केरलियो के बीच मे एक कहावत प्रचलित है।”ओणम विट्टुम काणम उन्नणम” which means one must have the onam lunch even by selling one’s property,if need be,.
मलयालियों के लिए ओणम पर्व जितना महत्वपूर्ण है उसका सीधा उदाहरण है यह कहावत।
ओणम की सुनहरी यादों में हमेशा मेरे मन मे ओणापूक्कलम, ओणाकोड़ी, ओणासध्या, उँजालाट्टम आदि आती है।
ओणम महा पर्व से सम्बंधित किंवदंतियों का जन्म भूमि है त्रिकाक्कारा मंदिर।जहाँ से शुरू बहुते ऐतिहासिक बाते हैं।
फिर भी हम केरल के लोग बस यह ही मान कर चलते है कि हमारे महाबली अपने प्रजागण को देखने के लिए पाताल से केरल आते हैं।
राजा महाबली को खुश कराने के लिए हम एक साथ मिल जुलकर हर वर्ष इन दसो दिन दुखों को भूल कर खुशी से नाचते हैं,उस सुनहरे अतीत की स्मृतिगान गाते हुए।
“मावेली नाडु वानीडुम कालं मनुष्यरेल्लारूम ओन्नु पोले”
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शेष भाग 2 और भाग 3 में पढ़िए केरल वासियों खके 2021 में अनुभव वृत्तांत और देखिये कुछ तस्वीरे मेरे अज़ीज़ सहकर्मी अथीरा, आयाना, नीथिन मोहनन, थॉमस मैथ्यू और मोहम्मद इब्राहीम की तरफ से ।
क्रमश:

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