मीठी धूप में खड़े
पकड़े रेलिंग छत की
देखना औलाद को
बालू और मिट्टी खेलते
सुख देता तो है
उलझने नहीं हर पाता
थोड़ी बहुत बात
सुबह की चाय
ऊर्जा बढ़ाने वाले प्रपंच
और मुस्तैद दैनन्दिनी
हर रोज़ दिन शुरू होता तो है
कांधे का बोझ नहीं बाँटता
जीविकोपार्जन की व्यस्तता
घर इग्नोर करने के हुनर
टारगेट डेडलाइन
क्षणिक सफलताएँ
रोबोट सब सम्भव तो कर देता है
इच्छा अनिच्छा नहीं समझाता
ठीक दस पे लैपटॉप खोलना
तय नौ घन्टे में बंद कर देना
साथ बंद कर देना
एहसास , ज़िम्मेदारी और ग्लानि
काश आगे बढ़ता जीवन स्तर
मासूमियत अपने साथ न ले जाता
छुट्टियों में परिवार है
चाँदनी में सब सुन्दर होगा
फिर बनेंगी बातों पर बातें
टकराएंगे बर्तन तनाव के
शौक़ पहनावा नया तो है
दकियानूसी चलन नहीं जाता
जन्मदिन, एनीवर्सरी होते हैं
बिना बात की झुंझलाहट और
सालाना ग़ुबार निकालने के दिन
बेवजह भरी आँख दुखता गला
सजाकर सच्चे उत्साह से मिलती तो हूँ
पैठी उदासी को नज़रंदाज़ नहीं किया जाता
2 नवम्बर 2020
कुशहर
3.01am
Very nice ..true emotional post..
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