कभी कभार दूध का पतीला जब फ्रिज में रखना भूल गए तो कोफ्ते लिखे होते हैं किस्मत में। यह आलस्य का गुणगान नहीं है बस कहना चाहती हूँ कि इट्स ओके अगर आप हमेशा प्रखरता से सारे रूटीन नहीं निपटा रहे तो आगे कुछ निदान बाकी है जीवन में।
दूध खट्टा हो गया तो हो गया। ईशा ने उसके रस्गुल्ले बना लिए। मैंने बनाना चाहा तो सारा गड़बड़ हो गया। क्या करें मन तो है । ठीक है तब मैने बाज़ार से रस्गुल्ले बना कर खा लिए। इच्छा शांत कर ली और बच्चों को पनीर परांठा या पनीर भुर्जी खिला दी। सब खुश। फिर मुझे कोफ्ते भी तो बनाने आते हैं आज हमने कोफ्ते बना लिए।
Wow
काश
हम भी खा पाते
मुँह से ना सही
नज़रो से चख लेते।।
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