31 अगस्त

जब समय कम होता है तब या तो हैं बहुत विचलित हो जाते हैं , या आध्यात्मिक। समय अधिक होता है तो हम या तो आलसी हो जाते हैं या दार्शनिक । कठिन समय काटना पहाड़ लगने लगता है। प्रेम में या खुशी में रहें तो हमें समय के बीत जाने का पता ही नहीं चलता । केवल ध्यान वह अवस्था है जिसमें हम स्वयं समय हो जाते हैं , बादल पहाड़ नदी पेड़ से एकीकृत हक जाते हैं। ध्यान से ही विचलित होता मन शांत हो पाता है समय हमारे अंदर भर जाता है और हमारे अनुसार चलने लगता है।

– आर्ट ऑफ लिविंग सेशन की आज की प्रशिक्षक श्वेता घाड़ी द्वारा पढ़े गए ज्ञान बिंदु (Knowledge Point) का अनुवाद।

1 Sep

हमारा सच्चा जीवन साथी कौन है? पति पत्नी दोस्त बेटी या बेटा। नहीं । गुरु जी कहते हैं हमारा सच्चा जीवन साथी हमारा अपना शरीर है। एक बार हमारा शरीर काम करना बंद कर देता है तो कोई साथ नहीं देता । जो कष्ट है, वह हमारा अपना है।

जन्म से लेकर मृत्यु तक इस शरीर के साथ रहते हैं और यह शरीर हमारे साथ रहता है। हम क्या खाते हैं, हम अपने आप को कैसे फिट रखते हैं, कैसे-कैसे डील करते हैं। यह सब चीजें निर्णय लेती हैं इस बात का कि हमारा शरीर आगे किस तरह कैसे बर्ताव करेगा।

हम अपने शरीर के साथ जो करते हैं, वह हमारी जिम्मेदारी है और हमने जो किया वह वापस आता है। हम जितना अपने शरीर पर ध्यान देंगे, हमारा शरीर उतना ही हमारी देखभाल करेगा। शरीर ही हमारा स्थाई पता है जहां हम रहते हैं। शरीर हमारे लिए असेट भी हो सकता है, लायबिलिटी भी हो सकता है। यह हमारी बॉडी की ट्रीटमेंट पर निर्भर करता है।

अपना ख्याल रखें। पैसा आता है जाता है। हमारे दोस्त और रिश्तेदार भी परमानेंट नहीं होते। इसलिए जरूरी है हम अपने शरीर का ख्याल रखें तभी हम वातावरण और अन्य लोगों का भी ध्यान रख पाएंगे।

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