मुस्कराते सरसों की
फ़लियों सी लड़की,
चंचल चकई सी चुलबुली
जैसे हवाओं में ख़ुशबू
संदली संदली
ओढ़ती है अलमस्त पवन
जाने क्या ढूँढती पराग में
चढ़ाकर अधीर चितवन।

Advertisement