आज मैं डायस के पेज पर “कविता की एक शाम” में काव्य पाठ करने के लिए लाइव आयी। कुल कार्यक्रम एक घंटे का रहा, मेरे पति आलोक जी ने फेसबुक पर सेटअप करने और जगह निर्धारित कर देने में सहायता की ।
यदि आप फेसबुक से लाइव आते है तो मोबाइल और वेब में तरीका अलग अलग है यह आज समझ आया। पेज से लाइव आने के लिए अतुल जी ने मुझे थोड़ी देर के लिए “एडिटर” एक्सेस दिया जिससे वह पेज मेरे एकाउंट में जुड़ गया था। यह नई बात पता चली आगे से किसी पेज पर लाइव आने के लिए यह बात काम आएगी।
अभिज्ञान के पिता जी ने बच्चों को चुप करा के बाहर बैठाए रखा इसलिए मैं इन कविताओं का पाठ सफलता पूर्वक कर पाई वर्ना तो कुकू एफ एम की रिकार्डिंग बच्चों की धमाचौकड़ी में बंद पड़ गयी है। अब वो भी शुरू होगी आज उत्साहित हूँ।
दिए गए वीडियो में निम्नलिखित कविताओं का पाठ है।
1. आम का अचार
2. बुलंदियां
3. काव्य चेतना में छपी – प्रतीक्षा
4. नवांकुर प्रकाशन के काव्यानकुर7 में छपी प्रेम कविताएं
5. इन्नर साझा संग्रह से – शोहरत , महुरत।
6. काव्य संध्या का समापन सुखनवर में छपी अपनी दो कविता “छल” और “गिरना चौथे स्तंभ का ” से किया है।
प्रस्तुत है “बुलंदियाँ” कविता से ये पँक्तियाँ
चमकता सितारा नहीं हो तुम
बादल जिन्हें ढक देते हैं।
सूर्य की एक किरण हो तुम
जो बादल चीर चमकते हैं ।
सभी सुनें और अपनी प्रतिक्रिया साझा करें।
मैं Spoken Word Artist बनने की दिशा में प्रयासरत हूँ और मुझे यह उम्मीद की परिवार, मेरे पति, मेरे बच्चों और सभी भले मित्रों के सहयोग से मैं खुद को एक दिन ऐसे किसी फॉर्मल लेवल पर काम करते प्रोफेशनली भी देखूँगी।
बोल कर अभिव्यक्त करना और भंगिमाओं के माध्यम से बात पहुँचाना ही सभ्यता का हासिल है।
प्रज्ञा के साथ कविता की एक शाम यहाँ देख सकते हैं –Link Dias