जब लेखक अपनी मौलिक अभिव्यक्तियों को रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत करते हैं, तब वह कहलाता है रचनात्मक लेखन। रचनात्मक लेखन रचनात्मक सोच को विकसित करती है। इस प्रकार के लेखन के उदाहण हैं –
उपन्यास, लघु कथाएँ, कविता, निबंध, पटकथा लेखन, इत्यादि।

रचनात्मतक लेखन ही सृजनात्मक लेखन है, जिसमें किसी बात को नए तरीके से या नए उपमानों के साथ प्रस्तुत किया जाता है, रचनात्मकता विचारों का उद्गम स्थल होती है, यह निर्मल गोमुख धारा है, जिसमें अभव्यक्ति हॄदयतल से फूटती है, इसमें आडम्बर, बनावटी साज सज्जा का स्थान नहीं होता।

हमने कालांतर में तमाम मौलिक रचनाओं को कलजयी होते देखा है और सैकड़ों साल बाद भी उनसे प्रेरित होते रहे हैं।
कबीर, तुलसी, ख़ुसरो, बिहारी, दिनकर, अज्ञेय, जयशंकर प्रसाद ,प्रेमचंद, रेणु नाम लेते जाएं जैसे जप के लिए हों किसी ईश्वरीय तत्व की साधना। यही है रचनात्मक लेखन का असर वह कालजयी रचना को जन्मदेती है।

पर हम बच्चों को ये नहीं कह सकते कि बेटा नहीं ये क्या लिख डाला तुमने इसको कौन पढ़ना चाहेगा। उनकी कोमल अभिव्यक्तयों को स्थान देकर उन्हें प्रोत्साहित करना रचनात्मक सोच के पालने में जीने बराबर है। बच्चों को हमें बताना चाहिए कि बेटा एक डायरी पास में हमेशा रखो और किसी बात को देख कर तुमको कैसा लगा वह एक जगह लिख लो इससे तुममें चीजों को देखने का अलग नज़रिया विकसित होगा। ऐसा करने से अविष्कार करने वाली बुद्धि के बच्चे बनेंगे, समाज का रिनेसाँ है रचनात्मक लेखन जहाँ आदमी बीजगणित का भी होता है और कैनवास की तूलिका का भी होता है। रचनात्कम लेखन हमारे मन में घर कर गए रूढ़ियों को तोड़ता है , हमें उतना ही सरल होना सिखाता जितना सरल सृजन है।

अब बात आती है कि क्या नहीं है रचनात्मक लेखन तो दखिये आम तौर पर रोज़मर्रा में पढ़े जाने वाला समाचार, आपसी पत्राचार, परीक्षा में लिखे गए उत्तर, बिलबोर्ड पर लगी सूचनाएँ, नहीं है रचनात्मक लेखन। ऐसा लेखन विषय वस्तु लेखन होता है, यानी की content writing । इसमें उपलब्ध सूचना की अवधि कम होती है। विषय वस्तु लेखन किसी एक दिन, या किसी खास सन्दर्भ को ध्यान में लिखा जाता है । किसी की रचना को आधार बना कर उसपर क़ई गयी टीका टिपण्णी भी नहीं है रचनात्मक लेखन क्योंकि वह किसी दूसरे के सृजनात्मकता की अपने शब्दों में व्याख्या मात्र है।

रचनात्मक लेखन और विषय वस्तु लेखन रोज़गार की दो अलग विधाएं हैं। आज हिंदी समाज सेवा से ऊपर उठकर धनार्जन का स्रोत बनकर उभर रही है। समय के साथ चल रही है । आज कल मोबाइल एप्स, वेब कंटेंट, ऑनलाइन टीचिंग के लिए विषय वस्तु लेखक की पुरज़ोर माँग है, परन्तु इसका मतलब यह नहीं की रचनात्मकता बैक सीट पर चली गयी। रचनात्मक बने रहने के लिए किया गया अध्ययन हमारी मौलिकता को पुख़्ता करता है जिससे हम लम्बे समय तक किसी भी फील्ड का बाज़ार कैप्चर रख सकते हैं क्योंकि नई सोच ही नई संभावनाओं को जन्म देती है और हर नई संभावनाओं के साथ खुलते हैं अवसर के नए पट।

लॉक डाउन में मैंने तय किया है कि लिखना पसंद है तो सीखना भी पसंद है। कोई लेखकीय डिसेंट्री थोड़े न हुई पड़ी है कि आदमी लिखता जाए और भीतर नया कुछ आत्मसात कर ही न पाए।

मैंने शुरू किया है हिंदी के रचनात्मक लेखन को पुष्ट करने वाली बातों का अध्ययन , और अपने अध्ययन की दुनिया मे जो कुछ सीखती लिखती जाऊँगी, आप सबके साथ यहाँ साझा करती जाऊँगी।

मैं व्यस्त दिनचर्या के साथ एम ए की पढ़ाई पूरी करने की कोशिश कर रही हूँ इसलिए उस दिशा से जो ज्ञान मुझे मिलेगा धीरे धीरे यहीँ साझा किया जाएगा।

26 मई 2020

मुम्बई

PC – Sanjay Gandhi National Park, Borivali photographer. This Image received on a whatsap group.

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