हे ईश्वर!लॉक डाउन परीक्षा ले रहा है। नौकरी के आगे बच्चों को इन डेढ़ महीने में जैसे तैसे देखा , मोबाइल के भरोसे रखा है बोहोत समय, कभी कभी बोहोत झल्ला दी हूँ। बस मन से खुद को ही सिखा रही हूँ। अभिज्ञान कल मुझे अपने छोटी नन्ही बाजू पर सर रखने बोले, मैं तकिए पर भार देकर बस दिखावे भर उसके हाथ पे सोयी तो मेरे सर का जितना हिस्सा उसके हाथ मे आ रहा था उसी पे थप थपा कर बोला सो जाओ मम्मी। बड़ा सुकून मिला और सोचने भी लगी की अपना समय अच्छे से न संभालने की झुंझलाहट में हम इन बच्चों पर चिल्लाने लगते हैं, कभी कभी तो हाथ भी उठा है।

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