यह तस्वीर हमारी महाकाल यात्रा से एक ख़ूबसूरत स्मृति है।मुझे और आलोक को तीर्थस्थल पर घूमते लोकल कैमरापर्सन से तस्वीरें निकलवा के रख लेना सही लगता है।लैप्टॉप और वेस्टर्न डिजिटल के हार्ड डिस्क कीसतहों से सॉफ्ट कॉपी लुप्तप्राय प्राणी के दस्तावेज़ों की तरह हो जाती हैं। रील का ज़माना अच्छा था हाथों हाथ यादें पलटने के लिए मिल जाती थीं। अभिज्ञान का जन्म, उसका पहला बर्थडे , उसका मुंडन फिर अंशुमन से जुड़े सभी खास दिन को डेवलप करने का तो बस दिन ही बन रहा है अब तक, पर जल्द ही सब निपटा लेंगे मुझे हार्डकॉपी एल्बम पसंद है। अनुपम आयी थी तो हमने बैठ के देखे थे। साल भर बाद सास आयीं थीं तो उन्होंने भी बैठ के देखे थे। मोनू भी चाव से देखता है और मेरी शादी में क्यों नहीं है का मलाल करता है। अभी ऐसे ही और भी एल्बम निपटाने हैं।शिवरात्रि पर मनोकामना है, भोलेनाथ सबके गृहस्थ आश्रम को सुखद बनाएं । वानप्रस्थ वालों से तो मिल ही आयें।छात्रों को उनके ध्येय से मिलाएं । परिणय सूत्र में बंधने की कामना रखने वाले सभी युवाओं या अधेड़ों को कूलेस्ट वर कन्या दिलाएं । बच्चों के बस्ते हल्के रखें, उनका जीवन कौतूहल और प्रेम से भरा रखें। सभी के जीवन का रस बना रहे।#जयमहाकाल