दो अक्टूबर को आशू भैया, निशा भाभी और भतीजी आशी से मिलते हुए नई दिल्ली एयरपोर्ट गए थे। उनका घर रास्ते में था। भैया से खूब प्रशंसा का डोज़ मिला और भाभी से सनेस।
मिलना इतना कम होता है कि आशी को मैंने हर सम्भव याद दिलाये रखने की कोशिश की मैं कौन हूँ और जल्दी आगे मिलना पड़ेगा , बच्चे दूर-दूर बड़े हो रहे , बहुत जल्दी बड़े हो रहे हैं।
आशी की राखी अंशू- मोनू के लिए हर साल आती है। एक समय था जब हम भैया को भेजी गई राखी में पत्राचार और स्वरचित कविताएँ ज़रूर रखते थे।
भाभी जब शादी होकर आयीं तो उन्होंने सब और भी सहेज-सहेज रखा और बहुत उत्साह के साथ चर्चा भी लेती रहीं। पिछले साल से ही यह क्रम टूट गया इसे फिर शुरू करेंगे।
12 ऑक्टोबर 2019