प्रेम को संज्ञा न समझो
जी भर के बस तुम नाम मत लो
दो चार मेरे काम घर के
तुम भी आकर साथ कर लो
कुछ न हो तो भी खड़े रह
गिन लो मेरी चूड़ियाँ
साथ मे हो जाएगी
घर बार की बातें यहाँ
वैसे ये रूमानी नहीं है
साथ तो लेकिन यही है
फिर किसी दिन याद कर
उस दिन की बातें चाय पर
हम दोनों बैठे साथ में
हाथों को लेकर हाथ में
थोड़ा थोड़ा मुस्कराए
दिन मरुस्थल से काट आये
उसमें भी चल दूर दूर
हम दाना पानी साथ लाये
साथ दिन जितने बिताए
अब जभी भी याद आये
कोई भी शिकवा नहीं
हर पल मोहोब्बत कर निभाये।
Read my thoughts on YourQuote app at https://www.yourquote.in/prjnyaa-mishr-zi3v/quotes/noun-it-s-verb-so-when-you-feel-there-no-love-please-love-uxqvt