कृपया इस लिंक को क्लिक करें और फेसबुक पर घूम रही इस वीडियो को ध्यान से देखें इसमें Heimlich manoeuvre का असल समय पर प्रयोग होटल मैनेजर Vasilis Patelakis द्वारा दिखाया गया है।

ठीक ऐसी की घटना मेरे साथ घट चुकी है, यह स्थिती इतनी डरावनी थी की जान पहचान वाले मुझे अब ऑफिस में अकेले खाने बैठने नहीं देते ।एक आध बार जब ऐसा हुआ तो थोड़ी दूर टहल चल कर खाना इसोफेगस से उतर गया, लेकिन एक दिन अती हो गयी काफी देर अटका रह गया और कलीग्स जुट कर अपने स्तर से जो मदद कर सकते थे किए, किसी ने पीठ थप थपायी किसी ने छास या पानी पीने दिया, अंत मे चलना टहलना भी काम आया ।

विडीओ में दिया तरीका किसी को मालूम नहीं था और चोक-ब्लॉक बोलस को भोजन-नली से निकलने में उस दौरान काफी समय लग गया था । सन्जोग से मेडिकल हेल्प आने तक में मैं ठीक हो चुकी थी।

बहुत छटपटाहट वाली स्थिति होती है। उस समय मैंने समझा की सबसे ज़रूरी होता है शरीर को जितना शांत रख सकें उतना शांत हो जाना धीरे-धीरे सांस लेने की कोशिश करना वर्ना घबराहट में जो भी भला हो सकना हो वो भी न होगा। मुझे उल्टी नही हो पा रही थी ऐसा लग रहा था की बोलस के नीचे नली में हवा हो , मैं पीठ सीधी कर एक दम चुप चाप शांत बैठी । बीच में टहली भी लेकिन बिना बात किये एकदम शांत होकर। धीरे-धीरे हल्की डकार आयी , तब तक मे देखने वालों के मुताबिक मेरा चेहरा पूरा लाल पड़ चुका था।डकार आने से मैं पानी पीती, फिर अचानक थोड़ा टुकड़ा निकल आया, थोड़ा इसोफेगस से पास हुआ, जान में जान आयी।

इस घटना के बाद मैंने जल्दी-जल्दी एवं बड़े-बड़े कौर खाना छोड़ दिया, खाने को अधिक देर चबाती हूँ। साथ मे अब बात कम करती हूँ । कम से कोशिश तो रहती है कि बेस्ट प्रेक्टिस फॉलो करूं। सुबह अब खाली पेट नहीं निकलती , निकली भी तो अब खाली पेट कॉफी कभी नहीं लेती क्योंकि ऐसा मेरे साथ तब-तब हुआ जब मैंने अधिक गैप के बाद कॉफी पी ली फिर खाना खाया। लगता था जैसे हवा के कुशन पर जा कर खाना इसोफेगस में अटक गया और पेरिस्ताल्टिक मूवमेंट बोलस की हो ही न रही हो।दो बहुत महत्त्व पूर्ण बातें:

1. मैं यह समझ रही थी की मेडिकल हेल्प आने तक हम में से किसी को नहीं पता की करना क्या है इसलिए सबकी की सुनकर कुछ से कुछ करते जाने से बेहतर शांत रहना है, “शांत रहो , चलो, फिर बैठो, पानी थोड़ा-थोड़ा लेकर उल्टी की कोशिश करो” , “दीपिका ने पीछे से आवाज़ दी थी इसे जो समझ आ रहा है करने दीजिए। इसके साथ ऐसा हुआ है पहले भी।”

2. दूसरी यह की मैं लगातार कल्पना कर रही थी की , जब यह स्थिति टल जाएगी सभी आस पास खड़े लोग ज़रा सर पकड़ कर हँसेंगे । मुझे कहेंगे , ” ध्यान रखा करो” औऱ मैं हँसते डरते वापिस अपने क्यूबिकल में काम करने बैठी हूँ। ईश्वर की कृपा से ठीक ऐसा ही हुआ।

प्रज्ञा

तस्वीर साभार : गूगल

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