सालहा साल
कई दिन आते रहे थे,
तुम बुलाते रहे थे
और अब जब
तुम्हारे उधर जाना नहीं होता ,
तुमसे मिलना नही होता
तुमको बताना नहीं होता
तो क्या इससे भी जायें ?
*चलो आज मौके पर मोहोब्बत जतायें।*
प्रणाम पिसी और पिसा जी ,
वैवाहिक वर्षगाँठ की अशेष शुभकामनाएँ । आप दोनों के चेहरे पर ये संतुष्टि ये मुस्कराहट इसमें बहुत ऊर्जा है जो अलग अलग शहरों में बसे आपके सारे घरों तक पहुंच जाती है।
एक दर से आपको ठहाकों में आँख मार कर ज़िंदगी मुट्ठी में कर लेते देखा है। आपकी कनखी वाली शैतान हँसी और झूठ-मूठ की डाँट मेरे जीवन की हासिल यादों में से एक है। गर्मी की छुट्टियों में या और कभी भी पिसा जी की सुनाई भूत की कहानियाँ मेरे जीवन की वो कौतूहल भरी अमिट कहानियाँ हैं जिन्हे , स्कूल , कॉलेज , ऑफिस और ससुराल तक मे सुना सुना कर मैंने वाह वाही बटोरी है। आज भी मेरे आस पास बच्चे जुटते हैं तो मैं जमशेदपुर से राँची हाइवे वाली सारी सही या मनगढ़ंत कहानियाँ उसी अंदाज़ में बयां करती हूँ जैसे पिसा जी पालथी मार कर पैर के अँगूठे पर हाथ फिराते फिराते आवाज़ में थोड़ा डर बना कर सुनाते थे। ये अलग बात है सुनाने के बाद उनके जैसी हँसी आती नहीं उसपर उनके स्टाइल का कॉपी राइट है।
बहुत सी बड़ी-बड़ी बातें जो नहीं लिखते क्योंकि सेंटी मत मार यार की आदत हो चली है । फिर भी आप दोनों का साथ धरोहर है यह लिखना तो बनता है।
सबसे प्यारी जोड़ी को *पिसा-पिसी की चूम बेटा* की तरफ से बहुत प्यार !