मैं राह चलते महसूसती चलूँगी
बस स्टॉप के झोपड़ों की कतार
फ्लाईओवर के नीचे मटमैली चादर में
झूलता नवजात, बातों में मग्न बैठी माँ,
उसके बाल सँवारता खुली देह का पुरूष,
जिसकी शर्ट डाली थी औरत ने
जब तक कचरे के पहाड़ पर बिछी साड़ी
सूख कर तैयार नहीं होती।
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कल बड़े दिनों बाद प्रिंस तिवारी का मैसेज आया ,कांदीवली महिंद्रा फ्लाईओवर के नीचे पल रहे बच्चों के लिए वो रिहाइशी स्कूल बनाने की जुगत में हैं। उन्होंने बताया की क्राउड फंडिंग के माध्यम से कांदीवली से पचास की.मी. दूर हलोली में संस्था की नींव पड़ चुकी है।
आलोक और मैंने भी इसके लिए अपने स्तर पर यथा शक्ति साथ दिया और देते रहेंगे ।
साल 2015 में मैंने पहली बार आलोक के माध्यम से teresa the ocean of humanity foundation (tohf) के बारे में जाना। प्रिंस तिवारी से मिलना हुआ जो फ्लाईओवर के नीचे बैठ कर बच्चों को पढ़ाने और अच्छे स्कूल में उनका एडमिशन करवाने की ललक के लिए तब तक DNA अंग्रेज़ी अखबार में छप कर विख्यात हो चुके थे। सी.ए. कर के अच्छी नौकरी उनको रास न आयी थी। वे जिस रास्ते से पवई जाते उस रास्ते में इतने बच्चे फूल, मूंगफली, प्लास्टिक की थैली, डस्टर बेचते उन्हें दिखने लगे की उनका मन बेचैन हो गया और नौकरी छोड़-छाड़ कर बच्चों को पढ़ाने लगे। ये नए चलन का बुद्ध है जिसे शिक्षा की अलख जगा कर निर्वाण प्राप्त करना है।
खानाबदोश बच्चों के अनपढ़ पलने बढ़ने का दृश्य देखते तो हम सभी हैं पर सबमें इतनी हिम्मत नहीं होती की एक बीड़ा उठाये और उनके माँ बाप तक को कन्विंस कर इनको पढ़ाये लिखाये।
मैं बहुत कायल हूँ , प्रिंस तिवारी के जज़्बे को सलाम।
उनके बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिककरें।
#प्रज्ञा