तकनीक से कहो

एडवांस हो लें

बेलगाम दिलों को

बेबाक मोबाईलों से

बाहर आने का मन करता है।

लौटाने आये थे किताबें

और धड़कने साथ ले गए

मैं रह गयी यहीं।

कहाँ देखोगे तुम मुझे

इन शहरों में छत होती नहीं।

अजीब अहसासात हैं

तुम सामने हो तो

बात ऐसे निकलती है

जैसे उंगलियों में घूमते बाल

वहीं के वहीं ।

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