देशभक्ति की आड़ में रोज़गार/बेरोज़गार युवा पुरूष एवं महिला ऑनलाइन टाइम-पास करने की बजाय और कुछ नहीं कर रहे ।
जो भारतीय चुप चाप अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को ईमानदारी से निभा रहे हैं वही देश की प्रगति में हिस्सेदारी दे रहे हैं।
अगर भारत में ऐसी स्थिति है कि लोग हँस बोल के रचनात्मक और पारिवारिक आम जीवन व्यतीत कर रहे हैं तो यह सुख और सैनिक सफलता की बात है। यह वाकई ज़रूरी नहीं की डिस्पले पिक बदलना , कैंडल मार्च करना और शोकाकुल रहना ही देशभक्ति होगी।
जब देश व्यथित हो उस समय भी अगर आपके पास अपने बच्चे को कहानियाँ सुनाने उसके साथ नाचने गाने का दिल है तो भी आप देशभक्त है क्योंकि आप भविष्य में एक सन्तुलित नागरिक देने की प्रकिया में हैं। अपना कर्म, रोजमर्रा का जीवन, घर के बच्चे व ज़िम्मेदरियों को धकेल के ऑनलाइन गुबार निकालने से देशभक्ति तो साबित नहीं ही होगी , साथ ही देश के देश के भविष्य में भी रोड़ा बनेंगे ऐसे भारतीय ।
आज कितना सुसुप्त भारत है। अधिकतर युवा ओनलाइन टुटपूंजिये हो कर रह गए हैं।
यही आज के भारत को खोखला कर रहा है। कितना बड़ा जन समूह केवल गलत भाषा प्रयोग करने में अपनी ऊर्जा क्षीण कर रहा है।