मेरे परिवार का आकार बहुत छोटा है
उसमें कुल सात सदस्य हैं
चार वो जो एक हैं साथ हैं
बिना शर्त मौका बे मौका
और तीन वो जो गुलाब की पंखुड़ियों की तरह
ही लव्स मी ही लव्स मी नॉट करते हुए
प्रितदिन मिलते हैं सुबह शाम
कभी कभी पूरा दिन
कभी कभी खुद को भी जोड़ देती हूँ
आठवें सदस्य की तरह,
आखिर मैं भी तो कुछ हूँ अपनी ज़िंदगी में।
उस दिन सिर्फ अपने लिए जीना होता है।
#प्रज्ञा
अच्छा लेखन
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आभार
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Bahut khub likha hai.
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आभार
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