इतने गौर से देखोगे तो
आँखें खराब हो जाएंगी
थोड़ा फासला रखो ,
क्या देखना है
कितना देखना है
तय करना पड़ता है!
कितना सोचोगी
दिमाग को और भी काम हैं
जैसे समय पे ब्रेक लगाना।
इतनी देर मत करो,
जितना समझ रहा है
उसे मानती चली जाओ
सोचने को और भी काम है,
जैसे अपने लिए सपने बुनना।
याद नही आ रहा,
भरोसा नही हो रहा,
यहीं रखा था,
कहाँ गया था?
मिलेगा नहीं तो,
जो आया नही तो!
खैर छोड़ो जाने दो
कितना पकड़ोगी
हाथों को और भी काम है
जैसे एक स्ट्रोक में काजल लगाना।
जाऊँ की रहने दूँ?
दौडूं या चलने दूँ?
भागने से नहीं हो रहा!
छलांग में रेलिंग अटक गई तो
खामखा नाक टूट जाएगी!
आह , फिर वही,
तुम्हे कितनी बार कहा है
कशमकश रहने दो,
मंजिलों को और भी काम है
जैसे बढ़ते हुए कदमों को चूम आना!
#प्रज्ञा #Pragya
19 मार्च 2017